मुहब्बत से तौबा तो
कर चुके हैं मगर
थोडा जहर ला के दे दो आज
तबियत उदास है|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मुहब्बत से तौबा तो
कर चुके हैं मगर
थोडा जहर ला के दे दो आज
तबियत उदास है|
जिस से मोहब्बत की जाए
उस से मुक़ाबला नही किया जाता.
आये हो आँखों में तो कुछ देर तो ठहर जाओ,
एक उम्र लग जाती है एक ख्वाब सजाने में.
बिल्कुल जुदा है मेरे महबूब की सादगी का अंदाज,
नजरे भी मुझ पर है और नफरत भी मुझसे ही !!
मोहब्बत भी ईतनी शीद्दत से करो की,
वो धोखा देकर भी सोचे की वापस जाऊ तो किस मुंह से जाऊ !!
मंज़ूर नहीं किसी को ख़ाक में मिलना,
आंसू भी लरज़ता हुआ आँख से गिरता है…..
मैंने कल शब चाहतों की सब किताबें फाड़ दी,
सिर्फ एक कागज़ पर लफ्जे माँ रहने दिया …..
परिन्दों की फिदरत से आये थे वो मेरे दिल में ,
जरा पंख निकल आये तो आशियाना छोड़ दिया ..
जिसे शिद्दत से चाहो वो मुद्दत से मिलता है,
बस मुद्दतों से ही नहीं मिला कोई शिद्दत से चाहने वाला!
उस तीर से क्या शिकवा, जो सीने में चुभ गया,
लोग इधर हंसते हंसते, नज़रों से वार करते हैं।