बैठ जाता हूँ अब खुले आसमान के नीचे तारो की छाँव मे,,,
अब शौक नही रहा महफिलो मे रंग जमाने का…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
बैठ जाता हूँ अब खुले आसमान के नीचे तारो की छाँव मे,,,
अब शौक नही रहा महफिलो मे रंग जमाने का…