गुमसुम बैठ न जाना साथी,
दीपक एक जलाना साथी!
सघन कालिमा जाल बिछाए,
राह देहरी नजर न आए,
विजय की राह दिखाना साथी,
दीपक एक जलाना साथी!
आ सकता है, कोई झोंका,
क्योंकि हवा को किसने रोका!
दोनों हाथ लगाना साथी,
दीपक एक जलाना साथी!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
गुमसुम बैठ न जाना साथी,
दीपक एक जलाना साथी!
सघन कालिमा जाल बिछाए,
राह देहरी नजर न आए,
विजय की राह दिखाना साथी,
दीपक एक जलाना साथी!
आ सकता है, कोई झोंका,
क्योंकि हवा को किसने रोका!
दोनों हाथ लगाना साथी,
दीपक एक जलाना साथी!!