मोहब्बत की राह

रहता है मशग़ला जहाँ बस वाह-वाह का
मैं भी हूँ इक फ़कीर उसी ख़ानक़ाह का

मुझसे मिल बग़ैर कहाँ जाइयेगा आप
इक संगे-मील हूँ मैं मोहब्बत की राह का

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