जुड़ नही पाये पुर्जे उन खतो के, फिर कभी,
मेरी ज़िन्दगी मेरे सामने, तड़प-तड़प कर मरी …..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जुड़ नही पाये पुर्जे उन खतो के, फिर कभी,
मेरी ज़िन्दगी मेरे सामने, तड़प-तड़प कर मरी …..