फ़रेब-ए- ज़िन्दगी खाकर भी चालाकी नहीं आई,
कि पानी में भी रहकर भी हमको तैराकी नहीं
आई…!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
फ़रेब-ए- ज़िन्दगी खाकर भी चालाकी नहीं आई,
कि पानी में भी रहकर भी हमको तैराकी नहीं
आई…!