ताश के पत्तों में

ताश के पत्तों में दरबदर बदलते चले गए…
इश्क़ में सिमटे तो ऐसे के बिखरते चले गए…

यूँ तो दिल ने बसायी थी एक दुनिया उनके संग…
रहने को जब भी निकले उजड़ते चले गए…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *