आईने के सामने खड़े होकर खुद से

आईने के सामने खड़े होकर खुद से माफ़ी माँग ली मैंने; सबसे ज्यादा खुद का दिल दुखाया है औरों को खुश करने में।

तुझे चाहते हुए बहुत दूर

तुझे चाहते हुए बहुत दूर आ गये हमअब तेरी बारी है बता दे मेरी मंजिल कहां है..

उदास लम्हों की न कोई याद रखना

उदास लम्हों की न कोई याद रखना; तूफ़ान में भी वजूद अपना संभाल रखना; किसी की ज़िंदगी की ख़ुशी हो तुम; बस यही सोच तुम अपना ख्याल रखना।

दिल से नाजुक नही..

दिल से नाजुक नही.. दुनिया मेँ कोई चीज साहब लफ्ज का वार भी … खंजर कि तरह चुभता है।

वो सजदा ही क्या

वो सजदा ही क्या… जिसमे होश रहे सर उठाने का…

रंगो से डर नहीं लगता दोस्तों

रंगो से डर नहीं लगता दोस्तों…. रंग बदलने वाले दोस्तो से लगता है…

दिल का अपनी हद से

दिल का अपनी हद से बाहर हो जाना, शायद इसे ही बे हद महोब्बत कहते हे…!!

मेरे लफ्जो से मत कर

मेरे लफ्जो से मत कर। मेरे किरदार का फैसला ।। तेरा वजूद मिट जायेगा । मेरी हकीकत ढूँढते ढँढुते !

तुझे क्या देखा खुद को भूल गए

तुझे क्या देखा, खुद को भूल गए हम इस कदर.. कि अपने ही घर आये, औरों से रास्ता पूछकर…!!

दर्द कितना खुशनसीब है

दर्द कितना खुशनसीब है जिसे पा कर लोग अपनों को याद करते हैं, दौलत कितनी बदनसीब है जिसे पा कर लोग अक्सर अपनों को भूल जाते है !!

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