मोहब्बत ठंड जैसी है साहब।।।।
लग जाये तो बीमार कर देती है।।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मोहब्बत ठंड जैसी है साहब।।।।
लग जाये तो बीमार कर देती है।।
पहले में देख देख के पढ़ता था
फिर मेने याद कर लिया उसे|
काश वो आकर कहे, एक दिन मोहब्बत से……!!
ये बेसब्री कैसी ? तेरी हूँ, तसल्ली रख…!!
क्या गलतियां की हमने कभी नहीं बताया उन्होंने…
बस प्यार घटता गया फासले बढ़ते गए ….
मेरे लफ़्ज़ों को अब भी नशा है तुम्हारा …
निकल कर ज़हन से, कागज़ों पर गिर पड़ते हैं …
कुछ बाते उससे छुपायीं थी …
और कुछ कागज़ों को बतायीं थी …
आज आशिक़ों की महफ़िल एक साथ बैठी है..!!
पता नई कितनो का दिल तोड़ेगी…
मुझे छोड़ के जिसके लिए गई थी तुम.,
सुना है हर बात पर तुम उसे मेरी मिसाल देती हो|
रात को कह दो, कि जरा धीरे से गुजरे,
काफी मिन्नतों के बाद आज दर्द सो रहा है|
ना लफ़्ज़ों का लहू निकलता है ना किताबें बोल पाती हैं,
मेरे दर्द के दो ही गवाह थे और दोनों ही बेजुबां निकले…