किताब-ए-इश्क से इस मसले का हल पुछो…….!!
जब कोई अपना रूठ जाये तो क्या करें…….??
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
किताब-ए-इश्क से इस मसले का हल पुछो…….!!
जब कोई अपना रूठ जाये तो क्या करें…….??
गम बिछड़ने का नहीं करते खानाबदोश ,वो तो वीराने बसाने का हुनर जानते हैं…….
खामोशी के दौर से गुजर रही है जिंदगी..
और कोई ये भी नही पूछ रहा कि कारण क्या है..
ज़िन्दगी के मायने तो याद तुमको रह जायेंगे ,
अपनी कामयाबी में कुछ कमी भी रहने दो….
जो चीज़ उन्होंने ख़त में लिखी थी, नहीं मिली.
ख़त हमको मिल गया है, तस्सली नहीं मिली…..
किन राहों से सफ़र है आसाँ कौन सा रस्ता मुश्किल है
हम भी जब थक कर बैठेंगे औरों को समझाएँगे
अब जुदाई के सफ़र को मेंरे आसान करो…..
तुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो ….
आने लगा हयात को अंजाम का खयाल,
जब आरजूएं फैलकर इक दाम बन गईं।
आँखों में छुपाए फिर रहा हूँ,
यादों के बुझे हुए सबेरे।
कैसे चुकाऊं किश्तें ख्वाहिशों की .. मुझ पर तो ज़रुरतों का भी एहसान चढा हुआ है ..!!