लाख पता बदला …..मगर पहुँच ही गया…
ये ग़म भी था कोई “डाकिया” ज़िद्दी सा…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
लाख पता बदला …..मगर पहुँच ही गया…
ये ग़म भी था कोई “डाकिया” ज़िद्दी सा…
तुमने आकर मिजाज पूछ लिया,अब कहाँ तबिअत संभलती है।
दुखी होता है,
जब कोई…!!!
तो सबसे पहले,
उसे याद करता है,
जिसे वो प्यार करता है…!!!
धड़कनों ने बताया
मोहब्बत आज भी उसी से है|
इतने तो लम्हे भी नही बिताये मेने तेरे संग..
जितनी रातो की निंद ले गये हो तुम छिन के..
फिर यूँ हुआ कि सब्र की उँगली
पकड़कर हम..इतना चले कि रास्ते हैरान हो गए..
क़ैद ख़ानें हैं , बिन सलाख़ों के कुछ यूँ चर्चें हैं , तुम्हारी आँखों के.
वो कहता है की बता तेरा दर्द कैसे समझू,
मैंने कहा की इश्क़ कर और कर के हार जा !!
चल तलाशते है..
कोई तरीका ऐसा…
मंद हवा भी बहे…
और चिराग भी जले…
बुरी आदतें अगर, वक़्त पे ना बदलीं जायें…
तो वो आदतें, आपका वक़्त बदल देती हैं|