यूं तो मेरा भी एक ठिकाना है मगर
तुम्हारे बिना लापता हो जाता हूँ मैं|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
यूं तो मेरा भी एक ठिकाना है मगर
तुम्हारे बिना लापता हो जाता हूँ मैं|
काश यह जालिम जुदाई न होती!
ऐ खुदा तूने यह चीज़ बनायीं न होती!
न हम उनसे मिलते न प्यार होता!
ज़िन्दगी जो अपनी थी वो परायी न होती!
तूम सौ जाऔ केवल भाई वरना गंदगी तूम को साफ करने पडेगी|
अभी अभी जो जुदाई की शाम आई थी
हमें अजीब लगा ज़िन्दगी का ढल जाना|
इश्क का कैदी बनने का अलग ही मजा है।
छूटने को दिल नहीं करता और उलझने में मजा आता है।।
ख़्वाहिशों का कैदी हूँ,
मुझे हकीक़तें सज़ा देती हैं..!!!
यकीन मानो मैं तुम्हारे उन कैदियों में से हूँ
जो खुले दरवाजे देखकर भी फरार नहीं होते…
दीदार किये उस चाँद के कई सदिया बीत गई
हमारी वफ़ा हारी और उसकी बेवफाई जीत गई….
कहां तलाश करोगे तुम दिल हमारे जैसा,
जो तुम्हारी बेरूखी भी सहे ओर प्यार भी करे !
जी में जो आती है कर गुज़रो कहीं ऐसा न हो
कल पशेमाँ हों कि क्यों दिल का कहा माना नहीं |