रोड किनारे चाय

रोड किनारे चाय वाले ने हाथ में गिलास थमाते हुए पूछा…… “चाय के साथ क्या लोगे साहब”? ज़ुबाँ पे लव्ज़ आते आते रह गए “पुराने यार मिलेंगे क्या”?

मेरे साथ बैठ के

मेरे साथ बैठ के वक़्त भी रोया एक दिन। बोला बन्दा तू ठीक है …मैं ही खराब चल रहा हूँ।

तेरे मिलने से कुछ

तेरे मिलने से कुछ ऐसी बात हो गई, कुछ भी नहीं था पास मेरे, जिंदगी से मुलाकात हो गई.

फूल थे गैर की किस्मत

फूल थे गैर की किस्मत में अगर ऐ जालिम, तूने पत्थर ही फेंक के मुझे मारा होता।

शायरी से इस्तीफा दे

शायरी से इस्तीफा दे रहा हूँ साहब….. किसी बेवफा ने फिर वफ़ा का वादा किया है ।

तुझे याद कर लूँ

तुझे याद कर लूँ तो मिल जाती है हर दर्द से राहत … लोग यूँ ही हल्ला मचाते है कि दवाइयाँ महँगी हैं …..

जोड़ी भी क्या खूब बनाई

जोड़ी भी क्या खूब बनाई उस खुदा ने, तु मासूम सी लड़की और मैं शायर बदनाम.……

एक ही ख़्वाब

एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है, मैंने हर करवट सोने की कोशिश की………

बडी देर कर दी

बडी देर कर दी मेरा दिल तोडने मे, न जाने कितने शायर आगे चले गये……

एक छोटे से सवाल

एक छोटे से सवाल पे इतनी ख़ामोशी… … सिर्फ इतना ही तो पूछा है..”याद आती है मेरी ???

Exit mobile version