बहुत अजीब हैं

बहुत अजीब हैं ये बंदिशें मोहब्बत की, कोई किसी को टूट कर चाहता है, और कोई किसी को चाह कर टूट जाता है।

अलफ़ाज़ तो बहुत हैं

अलफ़ाज़ तो बहुत हैं,मोहब्बत बयान करने के लिए। पर जो खामोशी नहीं समझ सके, वो अलफ़ाज़ कया समझेंगे !!

सरे बाज़ार तो ना कहो

ये दिल बुरा ही सही…पर सरे बाज़ार तो ना कहो…, आखिर तुमने भी इस मकान में कुछ दिन गुजारे हैं……

तुम लिखते रहे मेरे आसुओ से गजल

तुम लिखते रहे मेरे आसुओ से गजल… अफसोस… तुम ने इतना भी ना पुछा की रोते क्यु हो..

कहीं तो वो लिखती होगी

कहीं तो वो लिखती होगी अपनी दिल की छुपी हुई बातें, कहीं तो बे- शुमार लफ्जों मे मेरा नाम भी होगा……

यह मेरा इश्क़ था या फिर दीवानगी

यह मेरा इश्क़ था या फिर दीवानगी की इन्तहां.! कि तेरे ही क़रीब से गुज़र गए तेरे ही ख़्याल में.

देखा आज मैने रास्ते पर

देखा आज मैने रास्ते पर बिखरा हुआ सुख जो दौलत का था दुख जो औरत का था रास्ते पर खड़ी हुई सोचती ये रह गई किस कदर गिर गया इंसान जो कुदरत का था

बड़ा फर्क है तेरी और मेरी मोहब्बत में

“बड़ा फर्क है तेरी और मेरी मोहब्बत में…… तू परखता रहा…… और हमने ज़िंदगी यकीन में गुजार दी…!”

ये झूठ है…

ये झूठ है… के मुहब्बत किसी का दिल तोड़ती है , लोग खुद ही टुट जाते है,,, मुहब्बत करते-करते…..

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