कभी कभी धागे

कभी कभी धागे बड़े कमज़ोर चुन लेते है हम !

और फिर पूरी उम्र गाँठ बाँधने में ही निकल जाती है ….!!!

तेरी शब मेरे

तेरी शब मेरे नाम हो जाये
नींद मुझ पर हराम हो जाये

लौट आता है घर परिन्दा भी
इससे पहले कि शाम हो जाये

अब मौत से

अब मौत से कह दो कि नाराज़गी खत्म कर ले,
वो बदल गयी है जिसके लिए हम ज़िंदा थे​।