उम्र ढ़लते देर कहाँ लगती है..,
साल भी देखो चार दिन पुराना हो गया !
Category: वक्त-शायरी
शाम का वक्त
शाम का वक्त हो और ‘शराब’ ना हो…!
इंसान का वक्त इतना भी ‘खराब’ ना हो…!!
जिन्हें महसूस इंसानों के
जिन्हें महसूस इंसानों के रंजो-गम नहीं होते…
वो इंसान भी हरगिज पत्थरों से कम नहीं होते..
खुशबू बता रही है
खुशबू बता रही है,,,,, वो शख्स
दरवाजे तलक आया था
आँगन आँगन ज़हर
आँगन आँगन ज़हर बरसाएगी उस की चाँदनी…!!!
☝वो अगर महताब की सूरत उजागर हो गयी….!!!
तू चाहे कितनी भी
तू चाहे कितनी भी तकलीफ दे दे….!!!
सुकुन भी सिर्फ उसी के पास ही मिलता है…!!
तुमसे किसने कह दिया
तुमसे किसने कह दिया कि मुहब्बत की बाजी हार गए हम? अभी तो दाँव मे चलने के लिए मेरी जान बाकी है !
सब कहते हैं
सब कहते हैं ज़िन्दगी में सिर्फ एक बार प्यार करना चाहिए लेकिन तुमसे तो मुझे बार बार प्यार करने को दिल चाहता है।
हम कब के मर चुके
,हम कब के मर चुके थे जुदाई में ऐ अजल….जीना पड़ा कुछ और तेरे इन्तिजार में….
समुद्र बड़ा होकर भी
समुद्र बड़ा होकर भी,
अपनी हद में रहता है,
जबकि इन्सान छोटा होकर भी
अपनी हद भूल जाता है…