क्यों भरोसा करता है गैरो पर, जबकि तुम्हें चलना है खुद के पैरो पर…….
Category: लव शायरी
मोहब्बत की बर्बादी का क्या अफसाना था
“मोहब्बत की बर्बादी का क्या अफसाना था”..!! :: :: “दिल के टुकडे हो गये और लोगों ने कहा वाह क्या निशाना था”..!!
राख बेशक हूँ मगर मुझ में हरकत है
राख बेशक हूँ मगर मुझ में हरकत है अभी भी …. जिसको जलने की तमन्ना हो हवा दे मुझको…..
कितनी मासूम होती हैं ये दिल की धड़कनें
कितनी मासूम होती हैं ये दिल की धड़कनें…. कोई सुने या ना सुने, ये खामोश नहीं रेहती !!!
ग़म खाये जा रहा दिल को
ग़म खाये जा रहा दिल को इस ही एक बात का,,,, ढल गया ह दिन अब बोझ उठाना ह रात का ।
जब तक शीशा था
जब तक शीशा था , लोगो ने बहुत तोडा। जिस दिन पत्थर बना , लोगो ने देवता मान लिया॥
हमें तो जो भी मिला वो ख़ुदा
हमें तो जो भी मिला वो ख़ुदा बन के ही मिला, कहाँ हैं वो जिन्हें कोई ख़ुदा नहीं मिलता.
देखते हैं अब क्या मुकाम
देखते हैं अब क्या मुकाम आता है साहेब, सूखे पत्ते को इश्क़ हुआ है बहती हवा से.
ना रख उम्मीद-ए-वफ़ा
ना रख उम्मीद-ए-वफ़ा किसी परिंदे से,जब पर निकल आते हैं तो अपने भी आशियाना भूल जाते हैं.
वो अक्सर देता है मुझे
वो अक्सर देता है मुझे , परिंदों की मिसाल .साफ़ नहीं कहता के , मेरा शहर छोड़ जाओ.