हमको मोहलत नहीं मिली

हमको मोहलत नहीं मिली वरना, ज़हर का ज़ायक़ा बताते हम|

खुल सकती हैं

खुल सकती हैं गांठे, बस जरा से जतन से… पर लोग कैंचियाँ चला कर, सारा फ़साना बदल देते हैं !!

तुम लौट के आयोगे

तुम लौट के आयोगे हम से मिलने; रोज दिल को बहलाने की आदत हो गई; तेरे वादे पे क्या भरोसा किया;हर शाम तेरा इंतज़ार करने की आदत हो गई।

ज़वाब ही तो होता है

ज़वाब ही तो होता है यारो..!! खतों का कोई ज़वाब न आना..!

जो कभी लिख ही नहीं सका

जो कभी लिख ही नहीं सका खत में ख्वाब मैं वो बात तुझसे रोज कहता हूँ..!!

बचा ही मुझमें क्या ..

बचा ही मुझमें क्या … ? दिल महबूब ले गया … ! और दर्द में लिखे अल्फ़ाज़… लोग चुरा ले गये … !

तमीज़ ही नहीं है

सच को तमीज़ ही नहीं है बात करने की झूठ को देखो कितना मीठा बोलता है|

बीती जो खुद पर

बीती जो खुद पर तो कुछ न आया समझ, मशवरे यूं तो औरों को दिया करते थे…

आने का तकल्लुफ मत करना

तुम लौट के आने का तकल्लुफ मत करना, हम एक मोहब्बत को दो बार नहीं करते..!!

एक नया दर्द

एक नया दर्द दिल में जगाकर चला गया, वो कल फिर से मेरे शहर में आकर चला गया !!

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