आग लगी थी

आग लगी थी मेरे घर को,
किसी सच्चे दोस्त ने पूछा..!
क्या बचा है ?
मैने कहा मैं बच गया हूँ..!
उसने हँस कर कहा फिर साले जला ही क्या है..

ए दुश्मनो उठाओ हाथ

ना तबीबों की तलब है न दुआ मांगी

है नी मैं जां हु बस तेरे दामन की हवा मांगी है ए दुश्मनो उठाओ हाथ मांगो जिन्दगी मेरी।

क्यों की दोस्तों ने मेरे मरने की दुआ मांगी है

बचपन में जब

बचपन में जब चाहा हँस लेते थे,
जहाँ

चाहा रो सकते थे.
अब मुस्कान को तमीज़ चाहिए,
अश्कों को तनहाई ..