इक़रार ए मोहब्बत

इक़रार ए मोहब्बत पे जो ख़ामोशी ओढ़ लेते हैं
उन्हीं लबों पे इक दिन खिलेंगे गुलाब आहिस्ता
आहिस्ता

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *