यह सब तस्लीम है मुझको मगर ऐ दावरे-मशहर..
मुहब्बत के सिवा जुर्मे-मुहब्बत की सजा क्या है..!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
यह सब तस्लीम है मुझको मगर ऐ दावरे-मशहर..
मुहब्बत के सिवा जुर्मे-मुहब्बत की सजा क्या है..!