तू मिले या ना मिले….. ये मेरे मुकद्दर की बात है,
“सुकून” बहुत मिलता है….. तुझे अपना सोचकर..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तू मिले या ना मिले….. ये मेरे मुकद्दर की बात है,
“सुकून” बहुत मिलता है….. तुझे अपना सोचकर..