सोचा बहुत
इस बार
रोशनी नहीं
धुआं दूंगा
लेकिन चिराग था
फितरत से,
जलता रहा जलता रहा|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
सोचा बहुत
इस बार
रोशनी नहीं
धुआं दूंगा
लेकिन चिराग था
फितरत से,
जलता रहा जलता रहा|