by pyarishayri - Facebook Status, Urdu Shayri, Whatsapp Shayri, लव शायरी, वक़्त शायरी, वक्त-शायरी, व्यंग्य शायरी, व्हाट्सप्प स्टेटस, शर्म शायरी, हिंदी शायरी - February 9, 2017 कल अचानक देखा कल अचानक देखा तरसी निग़ाहों को किताबे आज भी छाती से लग के सोना चाहती है |