निगाहों में मंज़िल थी… गिरे और गिर कर संभलते रहे… हवाओं ने तो बहुत कोशिश की… मगर चिराग आँधियों में भी जलते रहे|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
निगाहों में मंज़िल थी… गिरे और गिर कर संभलते रहे… हवाओं ने तो बहुत कोशिश की… मगर चिराग आँधियों में भी जलते रहे|