इतनी ठोकरें देने

इतनी ठोकरें देने के लिए,
शुक्रिया ए-ज़िन्दगी चलने का न सही,
सम्भलने का हुनर
तो आ गया…….. !!

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version