जो चेहरे कभी दिखते नही थे मोहल्लों मे।
भूकंप ने सबका दीदार करा दिया।
न नमाज़ दिखी न अज़ान दिखी |
न भजन दिखा न कीर्तन दिखा |
न हिन्दू दिखा न मुसलमान
दिखा…|
घर से भागता हुआ बस इंसान दिखा…||
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जो चेहरे कभी दिखते नही थे मोहल्लों मे।
भूकंप ने सबका दीदार करा दिया।
न नमाज़ दिखी न अज़ान दिखी |
न भजन दिखा न कीर्तन दिखा |
न हिन्दू दिखा न मुसलमान
दिखा…|
घर से भागता हुआ बस इंसान दिखा…||