गैरों का होता है,वो मेरा नही होता,
ये रंग बेवफाई का सुनहरा नही होता…
करते न हम मुहब्ब्त,रहते सुकून से,
अंधेरो ने आज हमको,घेरा नही होता…
जब छोड़ दिया घर को,किस बात से डरना,
यूँ टाट के पैबंद पे पहरा नही होता…
दुनिया से इस तरह हम,धोखा नही खाते,
लोगों के चेहरों पे,ग़र चेहरा नही होता…