नदिया का पानी भी खामोश बहता यहाँ
खिली चांदनी में छिपी लाख खामोशियाँ
बारिश की बूंदों की होती कहाँ है जुबां
सुलगते दिलों में है खामोश उठता धुंआ
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
नदिया का पानी भी खामोश बहता यहाँ
खिली चांदनी में छिपी लाख खामोशियाँ
बारिश की बूंदों की होती कहाँ है जुबां
सुलगते दिलों में है खामोश उठता धुंआ