मकसद पहचान लेते है

शहद जुबा के मकसद पहचान लेते है ,
गैरजरूरी तवज्जो की वजह जान लेते है ।
हमे मासूम , बेखबर , नादां समझते है वो ,
और हम रिश्तों को “बंदगी”

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