इश्क पे जोर नहीं

मौत की राह न देखूं कि बिन आये न रहे,
तुमको चाहूं न आओ तो बुलाये न बने।

इश्क पे जोर नहीं, है ये वो आतिश ‘गालिब’,
कि लगाये न लगे और बुझाये न बने..!

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