अरमानों को जगाकर,आज भी बेठा हूँ उसी जगह पर,
जहाँ एक झलक देखने को मिलती थी, मेरी मुहब्बत मुझे……।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अरमानों को जगाकर,आज भी बेठा हूँ उसी जगह पर,
जहाँ एक झलक देखने को मिलती थी, मेरी मुहब्बत मुझे……।