टुकड़े टुकड़े होकर

उनकी नफरत भरी नज़रों के तीर तो बस
हमारी जान लेने का बहाना था

दिल हमारा टुकड़े टुकड़े होकर बिखर गया
पूरी महफ़िल बोली वाह ! क्या निशाना था

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