छत कहाँ थी नशीब में, फुटपाथ को जागीर समझ बैठे।
गीले चावल में शक्कर क्या गिरी ,बच्चे खीर समाज बैठे।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
छत कहाँ थी नशीब में, फुटपाथ को जागीर समझ बैठे।
गीले चावल में शक्कर क्या गिरी ,बच्चे खीर समाज बैठे।