रूह में बसा करते थे

रूह में बसा करते थे हम कभी….

अब लफ़्ज़ों में भी रहते नहीं…….जो चलता है,
वो ही संसार को बदलता है ।

जिसने रातों से जंग जीती है,
सूर्य बनकर वही निकलता है ।

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