आज ज़ाम मैंने शौक से उडेल दी बेसिन में,
कसूर ये था कि एक अश्क गिरा था उसमें,
डर ये था कि कहीं ज़हर ना पी जाऊँ…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
आज ज़ाम मैंने शौक से उडेल दी बेसिन में,
कसूर ये था कि एक अश्क गिरा था उसमें,
डर ये था कि कहीं ज़हर ना पी जाऊँ…