क्या तू मुझको

क्या तू मुझको समझा कह दे,
दरिया कह या सहरा कह दे.
मुझे आईना कहने वाले,
अपना मुझको चेहरा कह दे.
सिर्फ सोचने से क्या होगा,
अच्छा हूँ तो अच्छा कह दे.
साथ में हर पल रहता है तू,
फिर भी चाहे तो तन्हा कह दे.
छिपा रहा है ख़ुद को मुझसे,
क्या है तेरी मंशा कह दे.
इश्क़ में तेरे ही हूँ अब तू,
अँधा,गूंगा बहरा कह दे.
सोच में तेरी बहने लगा हूँ,
अब तो मुझको गंगा कह दे….

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