इस क़दर आँखो से दरिया की रवानी हो गई
दर्द के बादल उठे धरती भी पानी हो गई
हाथ पीले कर नहीं सकती ग़रीबी
क्या करे बाप बूढ़ा और बेटी सयानी हो गई|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
इस क़दर आँखो से दरिया की रवानी हो गई
दर्द के बादल उठे धरती भी पानी हो गई
हाथ पीले कर नहीं सकती ग़रीबी
क्या करे बाप बूढ़ा और बेटी सयानी हो गई|