आशियाने बनाए भी तो कहाँ बनाए
जनाब….
ज़मीने महँगी होती जा रही है और दिल
में जगह लोग देते नहीं है|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
आशियाने बनाए भी तो कहाँ बनाए
जनाब….
ज़मीने महँगी होती जा रही है और दिल
में जगह लोग देते नहीं है|