by pyarishayri - Facebook Status, Urdu Shayri, Whatsapp Shayri, लव शायरी, वक़्त शायरी, वक्त-शायरी, व्यंग्य शायरी, व्हाट्सप्प स्टेटस, शर्म शायरी - April 24, 2017 अभी दिन की कशमक़श अभी दिन की कशमक़श से निकल भी न पाये थे, जाने कहाँ से फिर ये शाम आ गई