बरसों गुज़र गये , रो कर नही देखा,
आँखों में नींद थी,सो कर नही देखा,,
वो क्या जाने दर्द मोहब्बत का,
जिसने किसी को खो कर नही देखा
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
बरसों गुज़र गये , रो कर नही देखा,
आँखों में नींद थी,सो कर नही देखा,,
वो क्या जाने दर्द मोहब्बत का,
जिसने किसी को खो कर नही देखा