दामन को फैलाये बैठे हैं अलफ़ाज़-ए-दुआ कुछ याद नही
माँगू तो अब क्या माँगू जब तेरे सिवा कुछ याद नही|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
दामन को फैलाये बैठे हैं अलफ़ाज़-ए-दुआ कुछ याद नही
माँगू तो अब क्या माँगू जब तेरे सिवा कुछ याद नही|