यूँ तो कटे हुए उस पेड़ को एक ज़माना हो गया,
मगर ढूँढने अपना ठिकाना, एक परिंदा रोज आता है
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
यूँ तो कटे हुए उस पेड़ को एक ज़माना हो गया,
मगर ढूँढने अपना ठिकाना, एक परिंदा रोज आता है