कुछ पतंगें तो मैंने यहीं सोचकर काट दी यारों…
कि उन्हें बेचकर चौराहे पर खड़े ग़रीब का पेट तो भरेगा !!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कुछ पतंगें तो मैंने यहीं सोचकर काट दी यारों…
कि उन्हें बेचकर चौराहे पर खड़े ग़रीब का पेट तो भरेगा !!!