by pyarishayri - Sad Shayri, Urdu Shayri, Whatsapp Shayri, गुस्ताखियां शायरी, जिंदगी शायरी, दर्द शायरी - December 9, 2015 मेरा मजहब तो मेरा मजहब तो, ये दो हथेलियाँ बताती हैं जुड़े तो पूजा, खुले तो दुआ कहाती हैं..!!!