मशहूर थे जो लोग

मशहूर थे जो लोग समंदर के नाम से
आँखे मिला नहीं पाए मेरे खाली जाम से

ऐ दिल ये बारगाह मोहब्बत की है यहाँ
गुस्ताखियाँ भी हो तो बहुत एहतराम से

मुरझा चुके है अब मेरी आवाज़ के कँवल
मैंने सदाएं दी है तुझे हर मक़ाम से

कुछ कम नहीं है तेरे मोहल्ले की लड़कियां
आवाज़ दे रही है मुझे तेरे नाम से

जहान की खिलावट

जहान की खिलावट में जुलूल नहीं आएगा,

गम-ए-तोहीन से कुबूल नहीं आएगा,

मक्लूल की इबरात है, यह कुर्फा ग़ालिब,

तुम पागल हो जाओगे पर यह शेर समझ नहीं आएगा….

एक ज़रा सी

एक ज़रा सी जोत के बल पर अंधियारों से बैर
पागल दिए हवाओं जैसी बातें करते हैं