झूठ बोलते हो

जाने कितने झूले थे फाँसी पर, कितनो ने गोली खायी

थी
क्यों झूठ बोलते हो साहब , की चरखे से आजादी आई थी

दौलत से नहीं

जब भी

देखता हूँ ..
किसी गरीब को हँसते हुए ..
तो यकीन आ जाता है ..
की

खुशियो का ताल्लुक दौलत से नहीं होता..