कभी फुर्सत मिले तो

कभी फुर्सत मिले तो,
अपनी वो कलम भेजवा देना…
जिससे आग,और पानी दोनों निकलते हैं…
कुछ आँख के आंसू,कुछ लहू के रंग टपकते हैं…
देखना था आखिर पन्ने जलते और भिग़ते क्यों नही…”

न रूठना हमसे

न रूठना हमसे हम मर जायेंगे!
दिल की दुनिया तबाह कर जायेंगे!

प्यार किया है हमने कोई मजाक नहीं!
दिल की धड़कन तेरे नाम कर जायेंगे!

पूछ रही है

पूछ रही है आज मेरी शायरियाँ मुझसे कि,
कहा उड़ गये वो परिंदे जो वाह वाह किया करते थे ?