खामोश रहने दो

खामोश रहने दो लफ़्ज़ों को, आँखों को बयाँ करने दो हकीकत,
अश्क जब निकलेंगे झील के, मुक़द्दर से जल जायेंगे अफसाने..

जिसे शिद्दत से

जिसे शिद्दत से चाहो , वो मुद्दत से मिलता है ,

बस मुद्दत से ही नहीं मिला कोई शिद्दत सै चाहने वाला

कुछ कहते खामोशियों से

कुछ कहते खामोशियों से कुछ नजरों से बतियाते है
चन्द गुजरे लम्हे है ये, कुछ रोते कुछ मुस्काते है
बस यही हिसाब है तेरा, कोई आना कोई जाना है
गुजर जानी है जिंदगी , याद रहनी मुलाकाते है।