मेरे साथ बैठ के वक़्त भी रोया एक दिन।
बोला बन्दा तू ठीक है …मैं ही खराब चल रहा हूँ।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मेरे साथ बैठ के वक़्त भी रोया एक दिन।
बोला बन्दा तू ठीक है …मैं ही खराब चल रहा हूँ।
तेरे मिलने से कुछ ऐसी बात हो गई,
कुछ भी नहीं था पास मेरे,
जिंदगी से मुलाकात हो गई.
फूल थे गैर की किस्मत में अगर ऐ जालिम,
तूने पत्थर ही फेंक के मुझे मारा होता।
शायरी से इस्तीफा दे रहा हूँ साहब…..
किसी बेवफा ने फिर वफ़ा का वादा किया है ।
तुझे याद कर लूँ तो मिल जाती है हर दर्द से राहत …
लोग यूँ ही हल्ला मचाते है कि दवाइयाँ महँगी हैं …..
जोड़ी भी क्या खूब बनाई उस खुदा ने,
तु मासूम सी लड़की और मैं शायर बदनाम.……
एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है,
मैंने हर करवट सोने की कोशिश की………
बडी देर कर दी मेरा दिल तोडने मे,
न जाने कितने शायर आगे चले गये……
एक छोटे से सवाल पे इतनी ख़ामोशी…
…
सिर्फ इतना ही तो पूछा है..”याद आती है मेरी ???
तहज़ीब, सलीका, अदब, हया, ये तुम जानो,हम तो आशिक लोग हैं बस इश्क किया करते है…!